बचपन के कंचे और वो रंगीन सपना | Sachi shayeri
बचपन के कंचे और वो रंगीन सपना | Sachi shayeri
Shayari 1:
बचपन के कंचे और वो रंगीन सपना, बचपन की शायरी, कंचों की शायरी
काँच के टुकड़ों में भी जादू नजर आता था,
हर कंचा जैसे कोई सपना सजाता था।
बचपन की गलियों में जब हम खेला करते थे,
हर हार में भी कोई जीत नजर आता था।
Shayari 2:
मिट्टी में सजे वो कंचों के मेले बचपन की यादें, कंचे और दोस्ती
मिट्टी से सजी थी कंचों की दुकान,
हर दांव पर जुड़ा था बचपन का जहान।
कभी जीत कर खुश होते, कभी हार कर रोते,
पर उस खेल में सबसे प्यारी होती थी दोस्ती की जान।
Shayari 3:
बचपन और कंचे – एक अधूरी कहानी कंचों की कविता, बचपन की मासूमियत
न सवाल थे, न जवाब की चिंता,
बस कंचों की मार और जीत की हिंमत।
आज भी मन करता है लौट चलें वहीं,
जहाँ थी बचपन की वो अधूरी सी जिन्दगी।
Shayari 4:
कंचों के खेल में बसी थी दुनियादारी बचपन का खेल, नॉस्टेल्जिक शायरी
चांद जैसे कंचे, सूरज जैसी जीत,
उस छोटे से खेल में छिपी थी बड़ी रीत।
ना लालच, ना स्वार्थ, बस दोस्ती का खजाना,
हर शाम कंचों के संग होता था अफसाना।
Shayari 5:
आज भी दिल ढूँढे वो बचपन के कंचे बचपन की तलाश, पुराने दिन
आज की दौड़ में खो गए वो पल,
जब कंचों की चमक थी सबसे अनमोल हल।
ना मोबाइल, ना गैजेट्स का
शोर, बस मिट्टी में खेलते थे हम बेशुमार दौर।
निष्कर्ष (Conclusion)
इन शायरियों के माध्यम से हमने कंचों और बचपन की मासूमियत को जीवंत किया है। यदि आप “कंचों पर शायरी”, “बचपन की यादें” या “nostalgic childhood poetry in Hindi” जैसे कीवर्ड्स से अपनी वेबसाइट या सोशल मीडिया पेज को SEO के लिए अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो इस तरह की भावनात्मक और सरल शायरी बेहतरीन विकल्प है।
हेलो दोस्तों आपको अगर शायरी पसन्द आई हो तो शेयर करें धन्यवाद 🙏
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें