मुर्गे की सच्ची शायरी | sachi shayeri गाँव की सुबह से लेकर प्लेट तक की कहानी अगर आप मुर्गे की शायरी ढूंढ रहे हैं जो दिल को गुदगुदाए और सोचने पर मजबूर कर दे, तो आप बिलकुल सही जगह आए हैं। नीचे दी गई 5 शायरी हास्य और व्यंग्य से भरपूर हैं, जो मुर्गे के अलग-अलग रूपों को दर्शाती हैं – कभी बाग में बांग देता, कभी हलाल की दुकान पर इंतजार करता, तो कभी बच्चों का खिलौना बनता। Shayari 1: गाँव की सुबह और मुर्गा, सुबह-सुबह बांग देता, पूरे गाँव को जगाता, खुद नींद से उठे नहीं, पर सबको अलार्म बनाता। मुर्गा बोले, "भाई मैं तो बस ड्यूटी करता हूँ", गाँव बोले, "तेरे बिना तो सूरज भी नहीं निकलता"। मुर्गे की शायरी, गाँव की शायरी, सुबह की शायरी Shayari 2: मोहब्बत और मुर्गा, एक मुर्गी पे आया दिल, मुर्गा बेचारा पिघला, डांस किया, चूजा बना, पर मुर्गी फिर भी ना बदला। बोली, "तेरे पंख तो ठीक हैं, पर तेरा स्टाइल नहीं", मुर्गा बोला, "मोहब्बत में सब चलता है, बस दिल साफ चाहिए"। मुर्गे की शायरी, लव शायरी, हास्य शायरी Shayari 3: शहर का मुर्गा, शहर आया मुर्गा गाँव से, फैशन में हो गया...
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