किसान की खेती kishan kehti ki shan
किसान की खेती kishan kehti ki shan
शायरी 1:
किसान, धरती से सोना उगता है, मिट्टी से रिश्ता निभाता है,
धूम हो या बारिश हो, हर मौसम मुस्कुराता है।
ये कोई आम इंसान नहीं, भारतीय का अन्नदाता किसान है।
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शायरी 2:
किसान, हल चलाता खेतों में, पसीना उसका मोती है।
उसके बिना अधूरी ये धरती है, अधूरी हर रोटी है।
किसान है वो, जो मेहनत की असली तस्वीर है।
#कृषिपरशायरी #किसानकीशान
शायरी 3:
किसान, ना कोई मंच, ना तालियों, फिर भी हर रोज कहानी है।
जिसके नाम से चलती दुनियां, वो किसान की जवानी है।
सलाम उस मिट्टी के बेटे को।
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शायरी 4:
किसान, सुबह से शाम तक बस खेतों की बात करता है,
पसीने की कीमत समझो, जब किसान बरसात करता है।
हर दाना उसका इश्क है जमीन से।
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शायरी 5:
किसान, कभी धूप, कभी बारिश, हर हाल में खड़ा रहता है।
मिट्टी से मोहब्बत करता है, खेत उसका सपना रहता है।
किसान है वो, जो सब का पेट भरता है।
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